मेरे कानों का वो झुमका
हमारे इश्क़ की छन छन पे
इतराता है
तेरे हाथों की छुअन से
जाने क्यूँ अब भी
शर्माता है
मेरे कानों का वो झुमका
हमारे इश्क़ की छन छन पे
इतराता है
तेरे हाथों की छुअन से
जाने क्यूँ अब भी
शर्माता है
किसी गरीब से ये बड़े शहर के लोग
पैसे देकर बहुत कुछ छीन लेते है….!!
उदासियों के लिए तो एकांत ही चाहिएँ
ख़ाली छतों पे चांद तारों का सिलसिला रखना..!!
जो जवाब वक्त पर नहीं मिलते, अक्सर वो अपने मायने खो देते हैं।
काश तेरी जुदाई की कोई सरहद होती, पता तो रहता अभी कितना सफर और तय करना है
जुबानों के पीछे मत चलो,
कोई तुम्हे ऐसी कहानी नहीं बताएगा,
जिसमे वो खुद गद्दार हो।।
ना आज मिले , न कल मिलें... शिव शम्भू तो हर लम्हें हर पल पल में मिलें..!!


