sureshjain.com2024-08-28T12:28:46+05:30
तुम लाख कोशिश कर लो इस्लाम का नामोनिशान मिटाने की, लेकिन हकीकत यही है जुगनूओं के समूह से कभी जंगल नहीं जला करते।
sureshjain.com2024-03-20T19:17:17+05:30
नूर दिखेगा नही चहरे पर ना होगी चमक आंखों में एक दफ़ा आईने में देखो खुद को कितना फरेब छुपा है बातों में कितना,और कितना बोलोगे झूठ ख़ुदसे... हो ही नही सकता की खुशी मिलती हो खैरातो में स्वीकारो तो सही खुशी अपनी बदलते देर नही लगती हालातों में
sureshjain.com2024-08-28T14:16:05+05:30
यहीं कहीं दफ़न हो जाएंगे मेरे साथ मेरे अरमान भी,
मेरी वफ़ा के बदले मुझे "तड़पन" ईनाम मिली है..!!
sureshjain.com2024-08-27T16:58:27+05:30
नसीब में कुछ रिश्ते अधूरे ही लिखे होते हैं.. लेकिन उनकी यादें बहुत खूबसूरत होती हैं..!!
sureshjain.com2024-08-27T17:56:18+05:30
तुम इस शहर की रिवायत से अनजान हो मेरे दोस्त, यहाँ याद रहने के लिए पहले याद दिलाना पड़ता है.....
sureshjain.com2024-04-10T11:33:32+05:30
आदमी मुर्दे को पूजता है,
अस्थियां पूजी जाती हैं।
राख पूजी जाती है।
लाशें पूजी जाती है।
तिरस्कार होता है।
और जीवंत का आदमी अद्भुत है।
sureshjain.com2024-08-28T14:38:12+05:30
कामयाबी का तभी "सिंहासन" होगा,
जब आपका अपने "मन" पर शासन होगा।
sureshjain.com2023-07-06T22:12:24+05:30
खलल पड़ता है मेरी नींद में मुर्शद
जब कोई ख्याल मेरे ज़हन पर हावी होता है
sureshjain.com2023-07-06T22:21:42+05:30
तूने उस मोड़ पर तन्हा किया
जहाँ लगता था
तू है तो मुझे फिर और क्या चाहिए…..
sureshjain.com2023-07-11T15:48:29+05:30
टूटे ख़्वाब टूटी उम्मीदें अक्सर दर्द बड़ा देतीं हैं ज़ख्म नज़र नहीं आता मगर दिल चीर के रख देतीं हैं
sureshjain.com2024-08-28T12:49:29+05:30
चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमें, दिल पे असर हुआ है तेरी बात-बात का...
sureshjain.com2024-08-27T18:23:09+05:30
तबाही में भी वो करता है अपनी वाह-वाही... क्या खूब है इस तानाशाह की ये तानाशाही...
sureshjain.com2023-07-06T22:23:15+05:30
वक्त ऐसे ना दिया करो कि मुझे भीख लगे ,
बाकी इसके आगे वही करो जो तुम्हें ठीक लगे ..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:12:11+05:30
जब लहजे बदल जाएं तो वज़ाहतें कैसी..
नए मयस्सर हो जाएं तो पुरानी चाहतें कैसी..!!
sureshjain.com2023-11-22T08:35:21+05:30
हार और जीत का कोई अर्थ नहीं होता जो हौंसला न हारे ,वो जज़्बा व्यर्थ नहीं होता रात दिन जो सिर्फ फ़तेह के गीत गाते है जो, लड़ते रहते हैं वो इक दिन जीत जाते हैं
” मैं शायर तो नहीं “
कुछ यहां से, कुछ वहां से…
सबका धन्यवाद !