मैं उठता हूं कभी कलम रखता हूं
इस तरह इश्क के जज्बातों पर सर रखता होगा
खेल कोई इश्क तुम्हारे लिए यारों
मैं तो मरे जिस्मों में मोहब्बत की रूह रखता हूं

मैं उठता हूं कभी कलम रखता हूं
इस तरह इश्क के जज्बातों पर सर रखता होगा
खेल कोई इश्क तुम्हारे लिए यारों
मैं तो मरे जिस्मों में मोहब्बत की रूह रखता हूं