sureshjain.com2023-08-30T14:47:55+05:30
किरदारों कि लेप चढ़ी है, जिसे जैसा चाहिए बन जाता हूं, सबको खुश रखने के चक्कर में, मैं अंदर से छन जाता हूं..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:18:07+05:30
फर्ज़ बनता है "छोटो" का! कि उन्हें, समझाया जाए
बड़े, बड़े हैं! मतलब ये नहीं कि गलत नहीं हो सकते
sureshjain.com2024-08-28T15:35:12+05:30
निगाहें आज भी उनकी याद में बेचैन रहती हैं, ये दिल उदास रहता है जुबां खामोश रहती हैं, जब मयस्सर दीदार उनका ख्वाब में होता है, तब नींदें हराम होती हैं आंखें रो पड़ती हैं..!! विरक्ति
sureshjain.com2023-07-06T22:19:31+05:30
सबका ख़ुशी से फासला एक कदम हैं ,
हर घर में बस एक ही कमरा कम हैं ..
~ जावेद अख्तर
sureshjain.com2023-07-06T22:19:05+05:30
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
~ कैफ़ी आजमी
sureshjain.com2023-07-06T22:18:41+05:30
कभी इरादा हो हमे छोड़ के जाने का तो पहले बता देना…क्योकि,अचानक के हादसे बेमौत मार देते है..!
sureshjain.com2024-04-27T12:03:08+05:30
सुनसान रास्तों पर भी ,
ज़िंदगी ख़ुशगवार लगती है ,,
जब मौजूद हो कुछ भटके हुए साये ,
लाजवाब बेशुमार लगती है ,,
भीड़ थी आसपास बहुत कि
उलझनें और उलझ गई ,,
इसलिए ...छोड़ दिया सब कुछ ,,
अब ना कोई जीत , ना कोई हार लगती है ...
sureshjain.com2023-10-18T12:27:52+05:30
रिश्ते उन्ही से रखो जो समय आने पर , सहयोग और प्यार दिखाए' औकात नही ...
sureshjain.com2024-08-27T19:04:33+05:30
हर बार के मिलने में तक़ल्लुफ कैसा , चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है ।।
sureshjain.com2024-03-20T13:01:36+05:30
ख़्वाहिशे ही तो हैं मन के भीतर कितनी मासूमियत से पनपती हैं उचक उचक कर शिशु की भाँति लगाती हैं पुकार पूर्णता को पाने के लिये पैर पटकती हैं चाहत होती है के सब पा लें सहज़ ही मगर कहाँ इतना सहज़ है इनकी ही तरह सहज़ हो पाना बस इतनी सी बात को ये दुनिया कहाँ समझती है...!!
sureshjain.com2024-07-01T13:20:16+05:30
सूखे मौसम में बड़ा चटक था तेरा फरेबी रंग
अब बारिश क्या हुई, बदरंग हो गए।
sureshjain.com2024-08-28T15:11:51+05:30
घमंड किस बात का है, जनाब ऊपर से लेमिनेशन हटा दो तो,
अंदर से सब इतने ही खूबसूरत है..!!
sureshjain.com2023-12-17T19:53:44+05:30
प्रेम किसी भी स्थान पर रहने की अनुमति दे सकता है लेकिन दूसरे स्थान पर रखने की नहीं, प्राथमिकताओं का पालन आवश्यक है।
sureshjain.com2023-07-06T22:12:56+05:30
बीते मीठे लम्हों का है जो आसरा
हसरतें खामोश ठहरा ज़ज्बातो का दायरा
तेरी भीनी आंखों में खो जाए मन मेरा
तुझसे ही जाने क्यूँ मेरा है ऐसा राब़्ता
चादर की सिलवटें में है जो थोड़े फ़ासले
तेरे पास ना होने का करे हर पल इशारा
sureshjain.com2024-03-11T10:32:47+05:30
मैं साँसें तक लुटा सकता हूँ उसके एक इशारे पर मगर वो मेरे हर वादे को सरकारी समझता है ।
” मैं शायर तो नहीं “
कुछ यहां से, कुछ वहां से…
सबका धन्यवाद !