क्रोध शरीर को जलाता है और पश्चाताप आत्मा को

काश  तेरी जुदाई की कोई सरहद होती,  पता तो रहता अभी कितना सफर और तय करना है

जुबानों के पीछे मत चलो, कोई तुम्हे ऐसी कहानी नहीं बताएगा, जिसमे वो खुद गद्दार हो।।

तमाशा ये चार दिन का नहीं , वतन से मुहब्बत हमें पैदाईशी है।।

ना आज मिले , न कल मिलें... शिव शम्भू तो हर लम्हें हर पल पल में मिलें..!!