ख़ुद को ख़ुद से आज़ाद किया, जा, तुझको हमने माफ़ किया !

लाखों की कमाई भांड़ में जाए , मुझे पापा के हाथों दस का नोट लेना है!

अब मैं किसी से उलझता नहीं,बस हार मान लेता हूं…

घर वालों को ज़रूर बताइए उलझने अपनी,मर जाने से अच्छा है उनके लिए जिया जाए….

हमारे बिन अधूरी रहेगी कहानी तुम्हारी, तुम्हारी कहानी का पूर्ण विराम हूं "मैं.