हमारी हकीकत हमे ही पता है, लोगों ने इस चेहरे को बस हसते हुए देखा है...
sureshjain.com2024-03-18T12:59:39+05:30
शेर को पालने में उतना खर्चा नहीं है जितना मेकअप और पब्लिसिटी कर सियार को लगातार शेर के रूप में प्रस्तुत करने में है।
sureshjain.com2024-03-15T14:24:45+05:30
वो मस्जिद गया मन्दिर भी गया और गया समुद्र के बीच….. लेकिन रहा फिर भी नीच का नीच
sureshjain.com2024-03-15T12:10:21+05:30
राम तुम्हारे युग का रावन अच्छा था... दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था... प्रताप सोमवंशी
sureshjain.com2024-03-15T11:55:18+05:30
दूसरों के कर्मों का श्रेय स्वयं लेकर आप जयेष्ठ बन सकते हैं, श्रेष्ठ कदापि नहीं !


