राजा सोता रहें तो भी ठीक जनता आवाज भी उठाए तो गुनाह जलती रही बस्ती नग्न होती रही स्त्रियां जनता इसे कहें भी क़त्ल तो है सज़ा राजेश गौरी

आत्मसम्मान पर लगी चोट इंसान का वर्तमान और भविष्य दोनों बदल देती है

कौन सीखा है सिर्फ बातों से , सबको एक हादसा जरूरी है। जॉन एलिया

नहीं मांगती प्राण प्राण में , सजी कुसुम की क्यारी स्वप्न स्वप्न मे गूंज सत्य की , पुरुष पुरुष मे नारी रामधारी सिंह दिनकर

जरूरत पड़ने पर जो साथ दें, वो अपने से बेहतर होता हैं...

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