राजा सोता रहें तो भी ठीक
जनता आवाज भी उठाए तो गुनाह 
जलती रही बस्ती नग्न होती रही स्त्रियां
जनता इसे कहें भी क़त्ल तो है सज़ा

राजेश गौरी