संघर्षो के दिनों में, साथ बस एकांत होता है।
न कोई यार होता है, और न इतवार होता है।।
शिक्षा कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं ,
लेकिन संस्कार हमेशा घर से मिलते हैं !!
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
तहज़ीब हाफ़ी
जहाँ कर्म से भाग्य बदलते,
श्रम निष्ठा कल्याणी है।
त्याग और तप की गाथाएँ,
गाती कवि की वाणी है॥
ज्ञान जहाँ का गंगा जल सा,
निर्मल है अविराम है।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है॥
हिचकियाँ आती थी उसे ,
मेरे याद करने से ,
शायद अब हिचकियाँ भी ,
बेवफ़ा हो गई हैं ...!!