"रास्ते" पर "गति" की सीमा है,
"बैंक" में "पैसों" की सीमा है,
"परीक्षा" में "समय" की सीमा है,
परन्तु
हमारे "सोच" की कोई सीमा नहीं,
इसलिए "सदा" "श्रेष्ठ" "सोचें" और "श्रेष्ठ" पाएं..
sureshjain.com2024-04-18T10:08:07+05:30
यादों से न पूछें तरबियत उनकी
ये वो आजाद परिंदे हैं
जो पल में सागर पार कर लेते हैं
sureshjain.com2024-04-18T10:07:48+05:30
जान जाने के बाद शरीर श्मशान में जलता है
तेरे जानेके बाद तो में बिन अग्निको जलता हु
sureshjain.com2024-04-18T10:07:04+05:30
समय कई जख्म देता है इसलिये...
घडी में फूल नहीं काटे होत है...!
sureshjain.com2024-04-18T10:05:23+05:30
तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन तो नहीं,,
मेरा भी अपना वजूद है मैं कोई आइना तो नहीं...!!
sureshjain.com2024-04-18T10:05:01+05:30
वो महावर से भरे पांव
कब खून से भर गए
पता भी नहीं चल पाया उसे
जो दिल जीतने निकली थी
वो कब ख़ुद से हार गई
पता भी नहीं चल पाया उसे....!!
sureshjain.com2024-04-18T10:04:19+05:30
घबराया साहेब बात बात पर डरता है,
जब डगमग होवे कुर्सी तब धर्म को आगे करता है।
पटर पटर बोले है ये सौ में नब्बे झूठ,
राम नाम का लगा मुखौटा लेगा सब को लूट।
चीन बढ़ाता अपना नक्शा उससे छिपता फिरता है,
घबराया साहेब बात बात पर डरता है


