कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए

निभाने वाले रास्ते ढूंढते हैं और छोड़ने वाले बहाने...!!!

मैं वो चिराग हूँ,जो आँधियों में भी रोशन था...खुद अपने घर की हवा ने,बुझा दिया है मुझे...

एक”मरहम”की …तलाश में कई “ज़ख्मों”से ….गुज़रे हम

तुम मुझे इतना भूल जाना की तुम जी सको ,मैं तुम्हें इतना याद रखूगा की मैं जी सकूं...