sureshjain.com2023-07-06T22:13:35+05:30 हालातों के साज़ परपीड़ा के तार सेवेदना के स्वर लिखूँगा वक़्त की राह परज़िन्दगी की क़लम सेलम्हों की रफ़्तार लिखूँगा वैश्या की पीड़ा सेजिस्म के खरीददारों परमैं हवस के बाज़ार लिखूँगा तन्हाई के साये मेंअन्धेरे की क़लम सेमैं अपना संसार लिखूँगा..