sureshjain.com2023-07-06T22:23:27+05:30 तूने जो ना कहा मैं वो सुनती रही ख़ामख़ाह, बेवजह ख़्वाब बुनती रही जाने किसकी हमें लग गई है नज़र इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा दूर चाहत से मैं अपनी चलती रही ख़ामख़ाह, बेवजह ख़्वाब बुनती रही ….