sureshjain.com2023-07-06T22:23:39+05:30 हे अर्जुन! हजारों मनुष्यों में कोई एक मुझे पाने के लिये प्रयास करता है,और उन प्रयास करने वाले योगियों भी कोई एक ही मेरे परायणहोकर मेरे तत्त्व को जानता है।