sureshjain.com2024-08-28T13:23:01+05:30 मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं, आकाश पलकों पर झुक आया है, क्षितिज मेरी भुजाओं से टकराता है, आज रात वर्षा होगी। कहाँ हो तुम ?