मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं, आकाश पलकों पर झुक आया है, क्षितिज मेरी भुजाओं से टकराता है, आज रात वर्षा होगी। कहाँ हो तुम ?
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मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं, आकाश पलकों पर झुक आया है, क्षितिज मेरी भुजाओं से टकराता है, आज रात वर्षा होगी। कहाँ हो तुम ?