sureshjain.com2024-08-28T13:56:50+05:30 मैं उठता हूं कभी कलम रखता हूंइस तरह इश्क के जज्बातों पर सर रखता होगा खेल कोई इश्क तुम्हारे लिए यारोंमैं तो मरे जिस्मों में मोहब्बत की रूह रखता हूं