30

Jun

आकर वतन से दूर तरक्की की छाव में
परदेश हम ने बाँध लिए अपने पाँव में
रह कर अज़ीम शहरो में परवेज़ आज भी
दिल का कयाम है उसी छोटे से गाँव में

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