sureshjain.com2023-07-06T22:17:44+05:30 नत हूं मैं सबके समक्ष, बार-बार मैं विनीत स्वरऋण – स्वीकारी हूं – विनत हूंमैं मरूंगा सुखीमैंने जीवन की धज्जियां उड़ाई हैं।~ अज्ञेय