sureshjain.com2023-07-06T22:18:19+05:30 शुरू-शुरू में सब यही चाहते हैंकि सब कुछ शुरू से शुरू होलेकिन अंत तक पहुँचते-पहुँचते हिम्मत हार जाते हैंहमें कोई दिलचस्पी नहीं रहतीकि वह सब कैसे समाप्त होता हैजो इतनी धूमधाम से शुरू हुआ थाहमारे चाहने पर। ~ कुँवर नारायण