गुरु के आशीर्वाद से शोभा नगर कि बढ़ाई थी
फुलवाड़ी मे भ्रमण करते झलक सिया कि पायी थी
मोहित हो गये राम तभी जब दिखी बाग मे जानकी
प्रत्यंचा चढ़ाई हासिल की सीता ये बात थी सम्मान की
राम जैसा धैर्य सीता सी पवित्रता कौन रख पाएगा
आशिक तो कोई बन जाएगा पर “सियाराम” न बन पाएगा.!