21

Jun

मेरा धर्म बड़ा इस दंभ मे गला अपनो का रेत रहे,
पहले मकां थे जो इंसान वो अब केवल खेत रहे,

शमसीर सी वाणी दिल मे नफरत कि आग है,
कैसे रौशन होगा गुल यहा हर इंसान नाग है,

और अपने स्वार्थ मे निर्दोषो कि जान ले लेते है,
नफरत रह गई शेष जिस देश मे उसे हिन्दुस्तान कहते हैं..!!

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