19

Jun

कुछ दर्द जो अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं,
आंखों से पानी बन निर्झर नदियों से बहते हैं ।
समझ ही नहीं पाती,किसी को नही कह पाती,
इस जीवन से अब कुछ और नही चाहती ।

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