sureshjain.com2024-04-09T11:26:33+05:30 वो ख़्वाब रात काचाय साँझ कीबारिश की बूंदें रूमानीवही समां पुरानाधड़कनों से बतियानाबदला नहीं है कुछ भीवही मिज़ाज़ आशिकानाचलो निभाते हैं हम तुमवही पुराना याराना लेकर चुस्कियाँ चाय कीकरेंगे गुफ्तगू शायराना