जम्हूरियत पर कस रहा फंदा ख़ुद को ख़ुदा समझ रहा बंदा बहलाया-फुसलाया, डराया भी बॉन्ड से भी जुटा लिया चंदा चुनाव की बिसात धर्म का दांव नफ़रत का तूफ़ान कभी पड़े न मंदा किसी को जेल इनके लिए खेल इन पर भी चलेगा वक़्त का रंदा सीडी, ईडी, सीबीआई और जेल पूरे तालाब का पानी कर दिया गंदा।