sureshjain.com2024-03-19T09:12:20+05:30 विनय विफल हो जहाँ, बाण लेना पड़ता है। स्वेच्छा से जो न्याय नहीं देता है, उसको एक रोज आखिर सब-कुछ देना पड़ता है।