sureshjain.com2024-03-06T13:26:59+05:30 भिड़ते,टकराते,छील के निकलते हैं रिश्ते, कितने चौराहों से गुजरते है रिश्ते, ज़ख्म जिस्मो पर नजर आते है सारे, कहने को रूह से उतरते है रिश्ते ..