कुछ बादलों की सी है फितरत उनकी छाते है मेरी छत पर बरस कहीं और जाते है बांट कर वक्त अपना महफिल में गैरों की बहानों भरे कुछ पल हमको थमा देते है रहूं हर पल उनके साथ इस हसरत से वो दिल में मेरी तस्वीर बना कर रखते है जानते है वो कि हम शिकायत नही करते इसी का फायदा सता कर उठाते है
