sureshjain.com2024-08-27T17:32:53+05:30 जीवन कटना था, कट गया अच्छा कटा, बुरा कटा यह तुम जानो मैं तो यह समझता हूँ कपड़ा पुराना एक फटना था, फट गया जीवन कटना था कट गया। गोपालदास “नीरज”