24
Jul
ख्वाहिशें अनेक हैं "मन" में, लेकिन परिस्थितियां "दम" तोड़ रही हैं, खुशियां दिखा कर "मुकद्दर", मेरे सारे "ख्वाब" तोड़ रही हैं, घर "जर्जर" है, बहन भी "ब्याहना" है, लेकिन ये "मुफलिसी" भी भारी है, मध्यम वर्गीय "पुरुष" के कांधे पर "परिवार" सबसे बड़ी जिम्मेदारी है..!! विरक्ति


