17Jun
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17Jun
कल मैं चालाक था, इसलिए मैं दुनिया बदलना चाहता था,
आज मैं बुद्धिमान हूँ, इसलिए मैं अपने आप को बदल रहा हूँ।
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दर्द छुपाते छुपाते,
दर्द में जीने की आदत हो गई !
” मैं शायर तो नहीं “
कुछ यहां से, कुछ वहां से…
सबका धन्यवाद !
चेहरे पर चेहरा लगाना पड़ता हैं,
मैं ठीक हूं ये कहकर मुस्कुराना पड़ता हैं !