माना कि दौर नहीं है सादगी का पर क्या करूँ नहीं आता दिखावा करना

बीवी भी हक़ जताती है,माँ भी हक़ जताती है, शादी के बाद आदमी कश्मीर हो जाता है॥

तू वो किताब है जिसमें कहानिया बोहत है,मै वो काग़ज़ हूँ जो कोरा बोहत है।

अगर किरदार ऊंचा करना है तो अपना हुनर दिखाओ अपनी औकात नहीं..!!

और वो जो मुझे छोड़कर गए हैं ना वो लौटेंगे एक दिन मगर मैं उन्हें मिलूंगा नहीं.