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sureshjain.com2024-03-03T12:21:56+05:30
समझदार को मूर्ख कहना उतना ख़तरनाक नहीं
जितना मूर्ख को मूर्ख कहना।
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sureshjain.com2024-03-02T12:29:00+05:30
नैतिकता, समानता तथा न्याय के सिद्धांत कैलेंडर के साथ नहीं बदलते।
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sureshjain.com2024-03-02T12:25:46+05:30
फस गया हूँ जिंदगी के कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु की तरफ ,
बचाने कोई आने वाला नही और मैदान मैं छोड़ूंगा नही...
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sureshjain.com2024-03-02T12:11:35+05:30
बेवफाओं से हार कर
वफादारो से बदला लेते है लोग।
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sureshjain.com2024-03-02T11:56:37+05:30
बेटियाँ जो सिर्फ़ बेटियाँ होती हैं
माँ की अनुपस्थिति में माँ
पिता की ग़ैरमौजूदगी में पिता।
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sureshjain.com2024-03-02T11:27:45+05:30
माँ 
एक बोझा लकड़ी के लिए 
क्यों दिन भर जंगल छानती, 
पहाड़ लाँघती, 
देर शाम घर लौटती हो? 

माँ कहती है : 
जंगल छानती, 
पहाड़ लाँघती, 
दिन भर भटकती हूँ 
सिर्फ़ सूखी लकड़ियों के लिए। 
कहीं काट न दूँ कोई ज़िंदा पेड़ !
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sureshjain.com2024-03-01T16:14:33+05:30
कुछ लोग ज़िंदगी में भी मुर्दा होते 
 है और कुछ मरने के बाद भी जिंदा ...
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sureshjain.com2024-03-01T16:13:40+05:30
मेरे दिल को चकनाचूर करके,
उसने मेरे भरोसे को तोड़ा था,
दुनिया समझ बैठा था जिसे अपनी,
उसने ही अकेला छोड़ा था.
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sureshjain.com2024-03-01T16:12:39+05:30
शिकार है मासूमियत गरीबी की,
फिर भी चेहरे पर मुस्कान है,
रूपयों का मोह नहीं उसे,
बस दो निवाले में बसती उसकी जान है
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sureshjain.com2024-03-01T16:11:21+05:30
पिता वो दुआ है जो हर किसी के हिस्से नहीं आती।
जिसके आती है उसकी कोई ख़्वाहिश अधूरी नहीं रहती।।
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