समझदार को मूर्ख कहना उतना ख़तरनाक नहीं जितना मूर्ख को मूर्ख कहना।
sureshjain.com2024-03-02T12:29:00+05:30
नैतिकता, समानता तथा न्याय के सिद्धांत कैलेंडर के साथ नहीं बदलते।
sureshjain.com2024-03-02T12:25:46+05:30
फस गया हूँ जिंदगी के कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु की तरफ , बचाने कोई आने वाला नही और मैदान मैं छोड़ूंगा नही...
sureshjain.com2024-03-02T11:56:37+05:30
बेटियाँ जो सिर्फ़ बेटियाँ होती हैं माँ की अनुपस्थिति में माँ पिता की ग़ैरमौजूदगी में पिता।
sureshjain.com2024-03-02T11:27:45+05:30
माँ एक बोझा लकड़ी के लिए क्यों दिन भर जंगल छानती, पहाड़ लाँघती, देर शाम घर लौटती हो? माँ कहती है : जंगल छानती, पहाड़ लाँघती, दिन भर भटकती हूँ सिर्फ़ सूखी लकड़ियों के लिए। कहीं काट न दूँ कोई ज़िंदा पेड़ !
sureshjain.com2024-03-01T16:14:33+05:30
कुछ लोग ज़िंदगी में भी मुर्दा होते है और कुछ मरने के बाद भी जिंदा ...
sureshjain.com2024-03-01T16:13:40+05:30
मेरे दिल को चकनाचूर करके, उसने मेरे भरोसे को तोड़ा था, दुनिया समझ बैठा था जिसे अपनी, उसने ही अकेला छोड़ा था.
sureshjain.com2024-03-01T16:12:39+05:30
शिकार है मासूमियत गरीबी की, फिर भी चेहरे पर मुस्कान है, रूपयों का मोह नहीं उसे, बस दो निवाले में बसती उसकी जान है
sureshjain.com2024-03-01T16:11:21+05:30
पिता वो दुआ है जो हर किसी के हिस्से नहीं आती। जिसके आती है उसकी कोई ख़्वाहिश अधूरी नहीं रहती।।


