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sureshjain.com2024-03-04T10:16:52+05:30
हटा पतझर के पहरा, तनिक मधुमास आवे द
उदासल मन का देहरी पर, किरिन सविलास आवे द।

कसक एतना, मसकि जाता करेजा, दर्द अइसन बा
जिये के होसिला लेके, नया उल्लास आवे द।

झुकल आकास देखता, घुटन से जिन्दगी ऊबल
चुकल एहसास, बिनती बा, नया इतिहास आवे द।

अन्हरिया ई, अंजोरिया ऊ, कि दूनो ही कहानी ह
तनिक द खोल खिरकी के, बसंत बहार आवे द।

कि बादल ह, कि झंझा के झकोरा ह बहुत प्यारा
कि तोहरे ह परस प्रीतम, तनिक विसवास आवे द।
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sureshjain.com2024-03-03T12:29:22+05:30
एक ही चाहिए लेकिन परमानेंट चाहिए,
जिसे परेशान भी में करूं और प्यार भी करूं…!!
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sureshjain.com2024-03-03T12:28:55+05:30
कई बार हम लोगों को इसलिए भी खो देते है..
क्यूंकि हम उनके लिए जरूरत से ज्यादा मौजूद रहते है..
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sureshjain.com2024-03-03T12:28:15+05:30
छुट्टी तो आती है, पर कोई आराम नहीं आता,
क्यों औरत के हिस्से में उसका इतवार नहीं आता.
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sureshjain.com2024-03-03T12:27:34+05:30
भरोसें के काबिल नहीं है ये जिंदगी..!!
शिकायत हो या मोहब्बत,अभी कर लो..!!
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sureshjain.com2024-03-03T12:27:00+05:30
चाहे शरीर साथ ना दे या बीमार रहे, फिर भी मजदूरी करता है,
एक पिता घर कि ज़िम्मेदारी, अपनी सांस बेचकर पूरी करता है.
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sureshjain.com2024-03-03T12:26:24+05:30
एक तुम्हारे ना होने से ऐसे लगता है जैसे,
सुबह से शाम होने मे कई दिन लगते है ..
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sureshjain.com2024-03-03T12:25:21+05:30
भागते हुए छोड़कर अपना घर 
पुआल, मिट्टी और खपरे 
पूछते हैं अक्सर 
ओ शहर! 
क्या तुम कभी उजड़ते हो 
किसी विकास के नाम पर?
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sureshjain.com2024-03-03T12:24:46+05:30
बस पेड़ गांव के हिस्से में होते है 
और 
फल शहर को मिल जाते हैं ।
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sureshjain.com2024-03-03T12:23:55+05:30
इतने कमजोर नहीं की, वफादार होने का ऐलान करें, 
हमें यकीन है अपने किरदार पर, 
जो "खोएगा", "ढूँढता" फिरेगा...
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