वे धर्म का डर देंगे वे जाति का डर देंगे वे ईश्वर का डर देंगे वे संस्कृति का डर देंगे तुम्हें वो सबकुछ देंगे जिनसे तुम डर सको तुम जितना डरोगे, वे उतने ही आततायी होते चले जायेंगे
sureshjain.com2024-03-06T10:40:01+05:30
दो रोटी के वास्ते, मरता था जो रोज । मरने पर उसके हुआ, देशी घी का भोज ॥
sureshjain.com2024-03-06T09:43:45+05:30
मेरे हिस्से में भी ये दिन आए.... हथेली मेरी हो और अपने नाम की मेहंदी तू लगाए !
sureshjain.com2024-03-05T15:36:49+05:30
कितना ख़ास बनाया था हमें ईश्वर ने हम कितने आम बन गए हैं मशीनों से ग़ुलामी कराते कराते मशीनों के ग़ुलाम बन गए हैं
sureshjain.com2024-03-05T15:35:46+05:30
मजबूर नहीं करूँगा किसी को बात करने के लिए, जिसको जाना है वो चला जाये जो मेरा है वो ठहर जायेगा !!


