जब जब तुम ख़फा हुए हो मुझसे,
तब तब ख़फ़ा हुई हूँ मैं खुद से
sureshjain.com2023-07-06T22:24:07+05:30
हसीनों की गलियों से आँखें बंद कर गुज़रना लड़ गयीं जो उनसे आँखें, गड्ढे में जा गिरोगे।
sureshjain.com2023-07-06T22:24:07+05:30
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
sureshjain.com2023-07-06T22:24:07+05:30
आते नहीं हैं लोग असल किरदार में कभी,
यहाँ एक से बढ़कर एक अदाकार हैं सभी
sureshjain.com2023-07-06T22:24:07+05:30
मेरा संघर्ष एक दिन मुस्कुरायेगा,
पाँव से काँटा ख़ुद ही निकल जायेगा
sureshjain.com2023-07-06T22:24:07+05:30
तोड़ कर मैं सारे बंधन,
परिंदा हो जाऊँ
जी चाहता है फ़िर से,
मैं ज़िन्दा हो जाऊँ
sureshjain.com2023-07-06T22:24:16+05:30
आंधियों को आख़िर ज़िद छोड़ना पड़ा
दम उनका निकाल दिया इक चराग़ ने
sureshjain.com2023-07-06T22:24:17+05:30
ये तो बस हम ही जानते हैं उम्र कैसे गुज़ारी है,
बगैर तेरे गुज़रता लम्हा आख़िर कितना भारी है
sureshjain.com2023-07-06T22:24:17+05:30
धूप तो धूप है इसकी शिकायत कैसी
अबकी बरसात में कुछ पेड़ लगाना साहब
~ निदा फ़ाज़ली