"उम्मीद" ही होती है शायद गम की वजह….
वरना ख्वाहिशें रखना कोई "अपराध" तो नहीं..!
sureshjain.com2023-07-06T22:23:16+05:30
बुलंदियों का नशा हमने देख रखा है….
बड़ा मुुश्किल है आसमां पे ज़मीर साथ रखना..!
sureshjain.com2023-07-06T22:23:16+05:30
छुप छुप कर क्यूँ पढ़ते हो अलफाजों को मेरे,
सीधे दिल ही पढ़ लो सांसों तक तुम ही हो..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:23:16+05:30
मेरे बस में नहीं हैं खुले आसमान में उड़ना ,
इसलिए मैंने अपने पिंजड़े को ही अपनी दुनिया मान लिया हैं ..
sureshjain.com2023-07-06T22:23:26+05:30
सुकून चाहतें हो तो, कुछ बातें, कुछ यादें,
कुछ सवाल, कुछ ख्याल दिल से आजाद कर दो...
sureshjain.com2023-07-06T22:23:26+05:30
ज़माना ख़राब है! भरोसा थोड़ा सोचकर समझकर करिये…
यहां क़ातिल भी सिर्फ खुदा के बन्दों के "भेष" में आते है…
sureshjain.com2023-07-06T22:23:26+05:30
गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था
था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरिमस्तक पर कहाँ नहीं
sureshjain.com2023-07-06T22:23:26+05:30
मैं तुम्हरे साथ हूं कहने में और,
रहने में बहुत फर्क होता है….
sureshjain.com2023-07-06T22:23:26+05:30
मैंने अपनी ज़िंदगी के सारे,
महंगें सबक सस्ते लोगों से सीखे हैं….