वफा के रश्मों रिवाजों को बहुत देखा जमाने में निभाने का हुनर तो बस किताबों में होता है.. प्रज्ञा शुक्ला

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ वर्ष का है पल की किसी को खबर नहीं!

गीत ग़ज़लों में शामिल गर ना हो सके, तो तुम्हारे दर्द में बसर हम ज़रूर करेंगे। नेहा यादव

मुसीबत के वक्त ही परखे जातें हैं रिश्ते, वर्ना बातें तो सब वफादारी की ही करते हैं...!!

आज मैं उधर से निकला था जहाँ हम मिलते थे, किसी ने वहाँ दीवार खड़ी कर दी.
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