रोज़ इतने लोग मरते हैं,
पता नहीं,मैं क्यों बच जाता हूं..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
हम भी दरिया हैं,
हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे,
रास्ता हो जाएगा.
बशीर बद्र
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
तुम हाथ थाम लेते हो
मैं चल पड़ती हूँ
तुम नज़र भर देखते हो
मैं मुस्कुरा देती हूँ
तुम क़रीब आ जाते हो
मैं शरमा जाती हूँ
तुम आग़ोश में भरते हो
मैं सिमट जाती हूँ
तुम माथे को चूम लेते हो
मैं समर्पित हो जाती हूँ
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ग़ैरों की बात छोड़िए, ग़ैरों से क्या गिला
अपनों ने क्या दिया हमें, अपनों से क्या मिला।
~ कैफ़ी आज़मी
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
जिसे समझो कि मोहब्बत का कदरदान है,
वही हर चौराहे पर दिल नीलाम किये बैठा है..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
लोग तोल देते हैं चंद बातों पर क़िरदार…
बारी अपनी हो तो तराजू नहीं मिलता!!
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
तुम क्या जानो क्या चाहा था क्या लेकर आये हम
टूटे सपने घायल नगमे कुछ शोले कुछ शबनम
sureshjain.com2023-07-06T22:22:46+05:30
इस भरी गर्मी में कुछ तो सुकून आ जाये..!
या तो तू आ जाये या मानसून आ जाये..!!
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हवा ने किया ऐसे स्पर्श तन
जैसे छू कर मन मीत गया
कुछ भरा हृदय प्रेम मगर
दृग जल से कुछ रीत गया।