सिर्फ सांत्वना स्वीकार नही, इस बार पूरी तरह से न्याय चाहिए। हैवानो की सजा के साथ - साथ, हर नजर में पुराना सम्मान चाहिए। सेजल

मैं मरना पसंद करूंगा मगर गूंगा बहरा बन कर रहना नहीं

आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता, और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। चाणक्य

पसंद उसे करो जो परिवर्तन लाए, प्रभावित तो मदारी भी कर लेते हैं....

सकारात्मक कार्य करने के लिए हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।
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