लोगो को रियलिटी से ज्यादा, अंधविश्वास में जीना पसंद हैं...

जिस दिन हम अपनी हद पार करेंगे, तुम्हे तेरी सल्तनत से भी उठा लाएंगे !!

ख्वाहिशें अनेक हैं "मन" में, लेकिन परिस्थितियां "दम" तोड़ रही हैं, खुशियां दिखा कर "मुकद्दर", मेरे सारे "ख्वाब" तोड़ रही हैं, घर "जर्जर" है, बहन भी "ब्याहना" है, लेकिन ये "मुफलिसी" भी भारी है, मध्यम वर्गीय "पुरुष" के कांधे पर "परिवार" सबसे बड़ी जिम्मेदारी है..!! विरक्ति

मुकेश को याद करते हुए...१०० साल {1923-2023}

नींदें वापस कर दी हमने,,सुकून भरी रातों को। किताबों के संग ' हर रात बितानी थी, आँखों को।। सेजल

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