मेरे होते हुए मेरे रूम का कोई भी,मच्छर रात को भूखा नहीं सो सकता है !

रिस्तो का आलम अब कुछ ऐसा है हाल भी पूछते है तो चाल लगता है

सभ्यता का युग तब आएगा, जब औरत की म़र्जी के बिना कोई, औरत के जिस्म को हाथ नहीं लगाएगा। ~ अमृता प्रीतम

इल्तिजा करते हुए प्यासा परिंदा मर गया अब तो दरिया को हया से डूब मरना चाहिए राघवेंद्र द्विवेदी

विरह कि आग में जल रही, अपनी ज़िन्दगी को खींच रहा हूं, बंद हो चुकी अपनी प्रेमग्रंथ के, जज्बातों को सींच रहा हूं..!! विरक्ति

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