आज के ज़माने के शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं, जो आपका शुभ होते चिंतित हो जाते हैं!

जिसकी सबसे दोस्ती होती है, अक्सर वो किसी के नहीं होते...

पुरूष होने की पहली शर्त है, स्त्री का सम्मान करना....

रेल की तरह गुजर तो कोई भी सकता है... इंतजार में पटरी की तरह पड़े रहना ही असली इश्क है..!!

कुछ लोगों की फितरत चप्पल जैसी होती है , साथ तो देते हैं लेकिन पीछे से किचड़ उछालते हैं ...

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