शतरंज हो या जिंदगी, जितने के लिए धैर्य रखना पड़ता है...

पढ़ा जाये या कमाया जाये ये दिमाग़ नहीं पेट तय करता है

किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे.. किसी को रूला कर हंसे तो क्या हंसे..!!

इतना बारूद मत रखो अपने अंदर, एक चिंगारी से खाक हो जाओगे...

एकांत स्वयं को जानने का एक जरिया है। फ्रैंज काफ्का

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