मैं क्यों मान लूं तुम नहीं हो मेरे हाथ की लकीरों में,
किस्मते तो उनकी भी होती है ना जिनके हाथ नहीं होते
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
कुछ भी अच्छा सा रख लीजिए मेम,
वैसे भी करना उसके विपरित है !!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
जो मेरे ख़यालात से रूबरू नहीं,
वो मेरी मोहब्बत के लायक नहीं.
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
हर लम्हा सांसें बुड्ढी हो रही है
जिंदगी मौत के साये में हैं फिर भी जिद्दी हो रही है
बेवफा को बेख़बर रखना मेरी मौत की खबर से
जमाने के लिए आंसू हैं वो अंदर हस रही है!!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
अल्फाजों को बयां करना मुझसे कभी आया नही.....
बस गलतफहमी ये थी मुझे की उसे मेरी आंखों को पढ़ने का हुनर आता है..!!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
बस साथ निभाने की जो कसमें दिलाई गई थी
उसका बोझ है पर प्रेम नहीं है
अब यदि वो प्रेम की बात भी कर रहे है
तो वो इसलिए कि मजबूरी है
कि पति पत्नी है
गहराई में जाकर देखा जाय
तो वो सामाजिक बंधन ही मिलेगा
एक खानापूर्ति है कि साथ में जीवन काटना है
जबकि साथ में जीवन जीना होता है काटना नहीं
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
मांँ की आंखों में देखा तो एहसास हुआ ,
खुदा उसे मुझ से बेहतर औलाद देता।
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
भटका हू जीवन कि राहो मे मंजिल कि कोई ठौर नही
एकाकी जीवन जीता हू मेरे पास खुशियां और नही
तुमको साथ ले चलू तो वह बात आन कि आती है
दुखदर्द, कष्ट तुम भी सहो तब बात सम्मान कि आती है
और न कोई हमसफर है मेरा ना ही कोई रहगीर है
उम्र बीतेगी कैसे साथ मेरे जब आशिक तेरा फकीर है .!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
अभी बहुत रंग हैं जो तुम ने नहीं छुए हैं....
कभी यहाँ आ के गाँव की ज़िंदगी तो देखो....!


