मांँ की आंखों में देखा तो एहसास हुआ ,
खुदा उसे मुझ से बेहतर औलाद देता।
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
भटका हू जीवन कि राहो मे मंजिल कि कोई ठौर नही
एकाकी जीवन जीता हू मेरे पास खुशियां और नही
तुमको साथ ले चलू तो वह बात आन कि आती है
दुखदर्द, कष्ट तुम भी सहो तब बात सम्मान कि आती है
और न कोई हमसफर है मेरा ना ही कोई रहगीर है
उम्र बीतेगी कैसे साथ मेरे जब आशिक तेरा फकीर है .!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
अभी बहुत रंग हैं जो तुम ने नहीं छुए हैं....
कभी यहाँ आ के गाँव की ज़िंदगी तो देखो....!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को,
कोशिशें की बहुत मगर" भुला ना पाए तेरे एक नाम को !!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
गुरु के आशीर्वाद से शोभा नगर कि बढ़ाई थी
फुलवाड़ी मे भ्रमण करते झलक सिया कि पायी थी
मोहित हो गये राम तभी जब दिखी बाग मे जानकी
प्रत्यंचा चढ़ाई हासिल की सीता ये बात थी सम्मान की
राम जैसा धैर्य सीता सी पवित्रता कौन रख पाएगा
आशिक तो कोई बन जाएगा पर "सियाराम" न बन पाएगा.!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
वो जो न आने वाला है ना उससे हमको मतलब था,
आने वालों से क्या मतलब आते है आते होंगे..!
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
बहुत से पति पत्नी सिर्फ इसलिए
साथ रहते हैं क्योंकि वो पति पत्नी हैं...
एक सामाजिक बंधन है
सात फेरे लिए है
उन तमाम संस्कारों को पूरा किया है
जो शादी के लिए जरूरी हैं...
अब यहां प्रेम है या नहीं....
इसकी कोई गारंटी नहीं....
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
जान गया वो हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है,
इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए।
sureshjain.com2023-07-06T22:20:22+05:30
दर्द नहीं, "दवा" बनिये….!!
आप बशर रहिए, ना खुदा बनिये..!!
(बशर- इंसान)