वक्त का तकाजा देखिए
महसूस कीजिए
हो रहा रदोबदल
कुछ अच्छे कुछ बुरे
महसूस तो कीजिए
दौर था सुनहरा
आपस की सहभागिता
एक दूजे का साथ
न जातीय विभेद
बदला बदला आबो हवा
बढ़ गई दूरियां
अलग थलग राग लिए
जातीय...
खतरा जब देश पर हो सिर पे कफ़न रखते हैं
हम भी अपने दिलों में हुब्ब-ए-वतन रखते हैं।
सौरभ
मुसीबत में भी रास्ता निकाल लेते हैं..
वक्त कैसा भी हो मां बाप संभाल लेते हैं..!!
मजबूत बनो बेटा मां बाप रहम खा लेते है...
ये दुनिया रहम नहीं खाती...!!!
अब किसी की तलब नही हमे...
अब हम अपनी ही तलाश में है....!!