चाँद को छू के चले आए हैं विज्ञान के पँख देखना ये है कि इंसान कहाँ तक पहुँचे - गोपालदास 'नीरज'

मैं क्या बताऊँ कैसी परेशानियों में हूँ काग़ज़ की एक नाव हूँ और पानियों में हूँ भारत भूषण पन्त

आईना बनने चला हूं, कहि अखबार ना बन जाऊं...? मर्ज मिटाना चाहता हूँ, खुद बीमार ना बन जाऊं.....?

मज़लूम होते हुए फ़तेह हासिल करना, यह मैंने इमाम हुसैन से सीखा महात्मा गांधी

हम तर्क से पराजित होने वाले नहीं है। हाँ, यदि कोई चाहे तो प्यार, त्याग और चरित्र से हमें जीत सकता है। -रामधारी सिंह 'दिनकर'

Translate »