बचपन के घाव अच्छे थे,
बस घुटनों पर ही लगते थे..
sureshjain.com2024-04-05T17:34:41+05:30
शीशे टूटने के बाद कहाँ जुड़ पाते हैं
जो जुड़ भी जाए तो एक ही अक्स हज़ार नजर आते हैं।
sureshjain.com2024-04-05T17:33:36+05:30
वक्त अच्छा हो तो लोग हाथ पकड़ते हैं ,
और वक्त खराब हो तो गलतियाँ पकड़ते हैं ...
sureshjain.com2024-04-05T17:33:15+05:30
वो ख़्वाब रात का
चाय साँझ की
बारिश की बूंदें रूमानी
वही समां पुराना
धड़कनों से बतियाना
बदला नहीं है कुछ भी
वही मिज़ाज़ आशिकाना
चलो निभाते हैं हम तुम
वही पुराना याराना
लेकर चुस्कियाँ चाय की
करेंगे गुफ्तगू शायराना
sureshjain.com2024-04-05T17:32:21+05:30
तोहार पाँच किलो राशन मुँह पे फेंक देवे के..!
साहेब आवे द इलेक्शन तोहके देख लेवे के..!
sureshjain.com2024-04-05T11:17:24+05:30
मेरा साया है मेरे साथ जहाँ जाऊँ मैं
बेबसी तू ही बता ख़ुद को कहाँ पाऊँ मैं
sureshjain.com2024-04-05T11:16:54+05:30
मंजिल पर सिर्फ तस्वीरें ली जाती हैं,
यादें तो सफर में बनती है.....!!


