भूख बड़ी बेशर्म है,
उम्र के किसी भी मोड़ पर
आदम जात का तमाशा बना देती है।
sureshjain.com2024-04-08T11:09:03+05:30
क्या इक स्त्री और
पुरुष के आपसी
मजबूत संबंधो
मापदंड मूल स्तम्भ
सिर्फ सम्भोग है,,,?
क्या देह से देह
का घर्षण ही उनका
आख़री पड़ाव है,,,?
sureshjain.com2024-04-06T10:36:59+05:30
मैं ढूंढती हूं खुद में...खुद को ही,
शायद मैं वो नहीं जो हुआ करती थी..!!
sureshjain.com2024-04-06T10:36:34+05:30
चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं ,
कल भी यही सच था और आज भी यही सच है ...
sureshjain.com2024-04-06T10:35:48+05:30
हंसकर जीना ही दस्तूर है जिंदगी का,
एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का...
sureshjain.com2024-04-06T10:35:09+05:30
हमारी खामोशी को हरगिज बुझदिली ना समझा जाये,,,
अभी हम तेरे जुल्म और
अपने सब्र की इंतहा देख रहे है,,
sureshjain.com2024-04-05T21:08:16+05:30
दर्द का कहर बस इतना सा है,
कि आँखें बोलने लगी और आवाज रूठ गई ..
sureshjain.com2024-04-05T21:04:35+05:30
किसी की परवरिश पर उंगली उठाने से पहले स्वयं के संस्कारों का भी आंकलन कर लेना चाहिए...


