घर में पड़ी दरार जब भरती नहीं
दीवार बन कर उठ खड़ी होती है।
sureshjain.com2024-04-11T10:25:34+05:30
कोई नहीं करता प्यार मुझसे,
नफ़रतों का बन गया चेला हूं मैं,
न साथी न हमदर्द, न कोई रहबर,
दुनिया में बहुत अकेला हूं मैं.
sureshjain.com2024-04-10T18:25:48+05:30
मैंने
गुलाब की
मौन शोभा को देखा !
उससे विनती की
तुम अपनी
अनिमेष सुषमा को
शुभ्र गहराइयों का रहस्य
मेरे मन की आंखों में
खोलो !
मैं अवाक् रह गया !
वह सजीव प्रेम था !
मैंने सूंघा,
वह उन्मुक्त प्रेम था !
मेरा हृदय
असीम माधुर्य से भर गया !
sureshjain.com2024-04-10T11:40:27+05:30
तह बह तह जमती चली जाती है सन्नाटों की गर्द
हाल-ए-दिल सब देखते हैं पूछता कोई नहीं
sureshjain.com2024-04-10T11:33:32+05:30
आदमी मुर्दे को पूजता है,
अस्थियां पूजी जाती हैं।
राख पूजी जाती है।
लाशें पूजी जाती है।
तिरस्कार होता है।
और जीवंत का आदमी अद्भुत है।
sureshjain.com2024-04-10T11:31:32+05:30
थक गई हूँ जिम्मेदारियों से,,
ज़िंदगी मुझे चंद पल तू सुक़ून के उधार दे..!!


