भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥
sureshjain.com2024-04-17T14:39:11+05:30
राम जी की ज्योति से नूर मिला है,
सबके दिलो को सुरूर मिला है,
जो भी गया राम जी के द्वार,
कुछ न कुछ जरूर मिला है
शुभ राम नवमी
sureshjain.com2024-04-16T11:17:04+05:30
कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकूत
जिस का जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो ख़ामोश है।
sureshjain.com2024-04-17T12:15:14+05:30
त्याग दो सब ख्वाहिशें कुछ अलग करने के लिए
‘राम’ ने खोया बहुत कुछ ‘श्री राम’ बनने के लिए...
sureshjain.com2024-04-16T11:11:51+05:30
जितना ज्यादा तुम उसे बाहर ढूंढते हो,
उतना ज्यादा ही वो तुम्हारे अंदर होता हैं
पढ़ लो चाहे दुनियां का कोई भी ग्रंथ,
इश्क़ और ईश्वर हमेशा ऐसे ही तो मिलता हैं!
sureshjain.com2024-04-16T12:04:53+05:30
कितना तुम कमाल करते हो ,,
होठों से ही चूमते हो होठों से ही कौसते हो ।।
sureshjain.com2024-04-16T12:03:02+05:30
लगता होगा चांद बहुत खूबसूरत है ,
मगर लोगों ने तुम्हें देखा ही कहां है ।।


